विश्व बाघ दिवस
वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए बाघ सम्मेलन में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया। इस सम्मेलन में 13 देशों ने भाग लिया था और उन्होंने 2022 तक बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी का लक्ष्य रखा था। बाघ जंगल के स्वास्थ्य एवं शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपलब्धता दर्शाते हैं। जहां जंगल अच्छा होगा, वहां बाघ होगा। भोजन श्रृंखला के व्यवहार पर बाघ और जंगल की स्थिति का पता चलता है। इनके संरक्षण के लिए कई देश मुहिम चला रहे हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इनकी संख्या घटने की रफ्तार ऐसी ही रही तो आने वाले एक-दो दशक में बाघ का नामो निशान इस धरती से मिट जाएगा। आप और हम, जिस बाघ को देखकर डर जाते हैं और उनकी गरज सुनकर अच्छे-अच्छे कांप जाते हैं।
बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। 'वर्ल्ड वाइल्ड लाईफ फंड' के अनुसार पूरे विश्व में तीन हज़ार आठ सौ नब्बे बाघ बचे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा ढाई हज़ार बाघ भारत में हैं। इनके अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है और यह प्रजाति विलुप्त होने की स्थिति में है।
संकलनकर्ताः- कमल रावत, ब्राईट फ्यूचर टीम (9761181917)
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ReplyDeleteNice post
ReplyDelete👌👌👌👌🙏❤️
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