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Showing posts from December, 2019

SCIENCE PART-1

विज्ञान  मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग कौन सा है- त्वचा मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि कौन सी है- लीवर (यकृत) मानव शरीर की सबसे बडी अंतःस्रावी ग्रन्थि कौन सी है- थायराइट कौन सी अंतस्रावी ग्रन्थि मास्टर ग्रंथि कहलाती है- पियूष (पिटयूटरी) ग्रंथि कौन सी ग्रंथि आपात कालीन ग्रंथि कहलाती है- एड्रीनल ग्रंथि कौन सी ग्रंथि शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करती है- पियूष ग्रंथि घेंघा रोग शरीर के किस भाग को प्रभावित करता है- थाइराइड (गले को) घेंघा रोग किस तत्व की कमी से होता है- आयोडीन मानव शरीर की सबसे बडी हड्डी कौन सी होती है- फीमर (जांघ में पायी जाती है) मानव शरीर की सबसे छोटी अस्थि कौन सी है- स्टेप्स (कान में पायी जाती है) मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग कौन सा है- हृदय मानव शरीर का सबसे सुस्त अंग कौन सा है- यकृत मानव शरीर का सबसे कठोर अंग कौन सा है- दांतो का इनमेल मानव शरीर के रक्त की प्रकृति क्या होताी है- क्षारीय (पी 0 एच 0- 7.4)  लाल रक्त कणिकाओं की उत्पत्ति कहाँ होती है- अस्थि मज्जा लाल रक्त कणिकाओ...

Important to read NCERT for Civil Services

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UPSC के लिए NCERT पढना क्यों जरुरी है? 1.NCERT बुक पढ़ना जरुरी है जिससे बेसिक्स क्लियर होता है नए या पुराने तैयारी करने वालो के लिए जरुरी है। 2. बहुत स्टूडेंट्स इसको गम्भीर रूप से नहीं पढ़ते है यही कारण है कि प्री परीक्षा में पूंछे जाने वाले कई आसान से प्रश्न गलत हो जाते हैं। 3. सभी कैंडिडेट की एक सामान्य आदत यह होती है कि वे एक दो बार सभी विषयों के विविध खंडों को तेजी से पढकर खत्म कर देते है और बोलते है पढ़ लिया है NCERT. 4. बल्कि उनको पढ़कर शार्ट नोट्स बनाना चाईए, और बेसिक्स के साथ साथ कांसेप्ट भी क्लियर करे हर टॉपिक्स पर और टॉपिक्स के व्यावहारिक पहलुओं को आपस में जोड़े। 5. NCERT के टेक्स्ट बुक पढने के बाद यू ट्यूब पर संबंधित सूचनाएं और जानकारियां विडियो के माध्यम से समझना चाईए।या फिर गूगल पर सर्च करके नोटबुक में अलग से नोट कर ले। 6. टॉपिक से संबंधित दूसरे महत्वपूर्ण तथ्यों और संकल्पनाओं पर भी पकड़ मजबूत करे। 7. NCERT की बुक हर सब्जेक्ट के लिए आधार के काम करती है- हिस्ट्री, ज्योग्राफी, पोलिटी, इकोनोमी, एनवायरनमेंट, इंडियन सोसायटी, सांइस एंड मैथमेटिक्स इत्...

Civil Services Preparation

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आईएएस/पीसीएस के लिए  सफलता पाने के जरूरी नहीं कि एक विषय कि दस किताबों को पढ़ा जाये सफलता पाने के जरूरी है कि एक अच्छी किताब को ही दस बार पढ़ा जाय। आईएएस के पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को देखते हुए परीक्षा की तैयारी के लिए पूरा स्टडी पैकेज बनाया है वह आप सब के समक्ष प्रस्तुत है। प्रारंभिक परीक्षा के लिए विशेष A . राजव्यवस्था - एम लक्ष्मीकांत B . भूगोल- महेश वर्णवाल ( cosmas पब्लिकेशन्स ) C . अर्थव्यवस्था -लाल एंड लाल और प्रतियोगिता दर्पण का अतिरिक्तांक अर्थव्यवस्था विशेष D . भारत का स्वाधीनता संग्राम - बिपिन चन्द्र मुख्य और प्रारंभिक परीक्षा दोनों के लिए 1 . भूगोल- भूगोल by महेश बरनवाल ( cosmas Publications ) अ. भौतिक भूगोल - सविंदर सिंह ( Mains ) ब. मानव व् आधुनिक भूगोल - माजिद हुसैन या डॉ. खुल्लर ( mains ) स. 10th , 11th और 12th की एन सी आर टी ( प्रारंभिक परीक्षा डी. ऑक्सफोर्ड का एटलस ( प्रारंभिक परीक्षा ) 2 . इतिहास अ . प्राचीन इतिहास -  झा  श्रीमाली ब. आधुनिक भारत का इतिहास - बिपिन चन्द्रा या sk पाण्डेय स. विश्व का इतिहास - जैन और माथ...

UTTARAKHAND GK

उत्तराखण्ड राज्य में प्रथम उत्तराखंड में प्रथम पदम् विभूषण पुरस्कार प्राप्तकर्ता- डॉ0 घन्नानन्द पांडे (1969, विज्ञान) उत्तराखंड प्रथम पदम् श्री प्राप्तकर्ता- लक्ष्मण सिंह जंगपांगी (1959) उत्तराखंड में प्रथम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता- हरीश राणा (2003) उत्तराखंड में प्रथम हिंदी साहित्यकार पुरस्कार- रस्किन बांड(1992) उत्तराखंड में प्रथम द्रोणाचार्य पुरस्कार-हंसा मनराल(2001) उत्तराखंड में प्रथम प्रोटेम विधानसभा अध्यक्ष- काजी मोइनुद्दीन  उत्तराखंड का पहला वायोगैस बिजलीघर- कुंमाऊं उत्तराखंड में जन्मे पहले व्यक्ति जिनको नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया- डॉ0 राजेन्द्र पचौरी उत्तराखंड में प्रथम कमिश्नर जिसने सर्वप्रथम उत्तराखंड में भू व्यवस्था स्थापित करी- ट्रेल उत्तराखंड में प्रथम कुमाउनी भाषा के प्रथम कवि कौन थे- लोकरत्न पन्त उत्तराखंड के राज्य आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होने वाली प्रथम महिला- तुलसी रावत उत्तराखंड के प्रथम पत्र सम्पादक- सदानन्द सनवाल (अल्मोड़ा अखबार)  उत्तराखंड में प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार- सुमित्रानंदन पंत (1968, चितम्बरा) उत्तराखंड में प्रथम ...

CHANAP BUGYAL JOSHIMATH

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चनाप बुग्याल मुख्य पड़ाव चनाप बुग्यालः- थैंग से चनाप बुग्याल जाते समय इन पडावों से होकर गुजरना पड़ता हैः- धौड़ नागदेवता मन्दिरः- केदारखण्ड के सम्पूर्ण क्षेत्र में कश्यप पुत्रों का अधिपत्य था। यहीं देवासुर संग्राम हुआ। देवों का प्रभाव बढ़ा चक्र का शासन सुदृढ़ हुआ। देवों के वर्चस्व में जब कमी आई दो नागों का उत्थान हुआ। शंकर और दुर्घा रंगमंच पर आये। चक्र का स्थान त्रिशूल ने ले लिया। कमल के स्थान पर नाग फुफकारने लगे। ऐसा लगता है कि नाग शेष थे। या नागों ने शिव को आत्मसात कर लिया होगा। शिवलिंग को चारों और से नागों ने घेर लिया ऐसी मूर्तिया पैनखण्डा में देखी जा सकती है। महाभारत में शेषनाग का हिमालय में तपस्या हेतु आने का उल्लेख है। गढ़वाल में नागों के कई महत्वपूर्ण स्थल है। चमोली में नागपूर और उर्गम घाटियाँ की पट्टी नागों के नाम से प्रसिद्ध है। इसी प्रसिद्ध पट्टी में थैंग गाँव भी है। थैंग गाँव से चनाप घाटी के रास्ते में 2 किमी0 की दूरी पर राजा थासिंह के कुलदेव शेषनाग जी का मन्दिर है, जो कि इस घाटी के नागभूमि होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसे थैंग गाँववासी धौड़ भी कहते ...