PRESIDENT ELECTION BY BRIGHT FUTURE
BRIGHT FUTURE
राष्ट्रपति
- अनुच्छेद 52- भारत का एक राष्ट्रपित होगा।
- अनुच्छेद 53- संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियोें के द्वारा करेगा।
- अनुच्छेद 58- राष्ट्रपति बनने की योग्यता- वह भारत का नागरिक हो, न्यूनतम आयु 35 वर्ष हो, लोक सभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता हो, किसी भी लाभ के पद पर न हो।
लाभ का पद-
भारतीय संविधान में कही भी लाभ के पद को परिभाषित नहीं किया गया है, फिर भी लाभ का पद वह पद कहा जाता है जिस पर नियुक्ति सरकार करती हो तथा उसके कार्यक्षेत्र को नियंत्रित करने का अधिकार सरकार के पास में ही हो।
नोटः- राष्ट्रपति के लाभ के पद के अन्तर्गत बनाया गया कानून संसद बनाता है। लाभ के पद में क्या शामिल हो क्या न हो उसका निर्णय राष्ट्रपति के हाथ में है।
संसद के द्वारा राष्ट्रपित के संदर्भ में निम्न पद लाभ के पद में शाामिल नहीं है
- राष्ट्रपति का पद
- उपराष्ट्रपति का पद
- राज्यपाल का पद
- मंत्रियों के पद (संघ व राज्य)
अनुच्छेद 54- राष्ट्रपति का निर्वाचन- राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा निर्वाचक मंडल द्वारा होता है। इसमें शामिल है-
- संसद (राज्य/लोकसभा) के निर्वाचित सदस्य- लोकसभा- (कुल सदस्य- 545 निर्वाचित- 543, मनोनीत- 2) राज्यसभा (कुल सदस्य- 245, निर्वाचित- 233, मनोनीत- 12)
- मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेेते है।
- राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य।
- एक एंग्लो इंडियन मनोनीत होता है। अतः वह भी राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता।
- विधान परिषद के सदस्य भाग नहीं लेते है।
- दो संघ राज्य (दिल्ली व पुदुचेरी) विधानसभा के सदस्य ( 70 वां संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा)
- 11 वां संविधान संशोधन अधिनियम 1961 के तहत यह व्यवस्था दी गयी है कि निर्वाचक मण्डल में रिक्त स्थान होते हुए भी राष्ट्रपति का चुनाव कराया जा सकता है।
अनुच्छेद 55- राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति
- राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय गुप्त मतदान प्रणाली द्वारा होता है।
- राष्ट्रपति के चुनाव में निश्चित कोटा प्राप्त करने वाला सदस्य जीतता है-
------------------------ +1
2
अनुच्छेद 55 के द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन में दो सिद्धान्तों को अपनाया गया है-
1. समरुपता तथा समतुल्यता या आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली- इस सिद्धान्त का तात्पर्य यह है कि सभी राज्यों की विधान सभाओं का प्रतिनिधित्व का मान निकालने के लिए एक ही प्रक्रिया अपनायी जाएगी तथा सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के मत मूल्य के योग के बराबर होगा।
राज्य की कुल जनसंख्या 1
एक विधायक (M.L.A) के मत का मूल्य= ------------------------------------------------------- X ------
राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल सं0 1000
UP की जनसंख्या 1
UP के एक विधायक के मत का मूल्य = --------------------------- X -------
403 1000
नोटः- जनसंख्या का आधार वर्ष 1971
सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य
एक सांसद (M.P) के मत का मूल्य= ---------------------------------------------------------
निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या
2. एकल संक्रमणीय मत पद्धति- इस सिद्धान्त का तात्पर्य यह है कि यदि निर्वाचन में एक से अधिक उम्मीदवार है तो मतदाताओं द्वारा मतदान वरीयता क्रम में दिया जाता है।
- माना राष्ट्रपति पद के लिये उम्मीदवारों की संख्या चार है तथा कुल वैध त 15000 है तथा विजेता घोषित होने के लिए एक प्रत्याशी को न्यूनतम 7501 (50%+1) वोट चाहिए।
A- 5250B- 4800
C- 2700
D- 2250
- यदि किसी को 7501 मत नहीं प्राप्त होते हौ तो सबसे कम मत प्राप्त करने वाले को पराजित घोषित कर दिया जाता है तथा उसके मतों पर दिये गये द्वितीय वरीयता मत शेष तीनों प्रत्याशी में विभाजित कर दिये जाते है।
A 5250 + 300 = 5550B 4800 + 1050 = 5850
C 2700 + 900 = 3600
- यदि फिर भी इसके बावजूद किसी को कोटा प्राप्त नहीं होता तो जो सबसे कम मत प्राप्त करता है उसे पराजित घोषित कर दिया जाता है तथा उसके मत बचे दो प्रत्याशियों में विभाजित कर दिये जाते है।
A 5550 + 1700 = 7250B 5850 + 1900 = 7750
- इस प्रकार बी (50 % +1) 7501 से अधिक मत प्राप्त करने के कारण विजयी घोषित कर दिया जाता है।
- राष्ट्रपति के निर्वाचन में अभ्यर्थी होने के लिए आवश्यक है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन के लिए अपना नामांकन करते समय 15000 रुपये की जमानत राशि रिजर्व बैंक में जमा करे और उसके नामांकन पत्र का प्रस्ताव कम से कम 50 मतदाताओं द्वारा किया जाना चाहिए तथा कम से कम 50 मतदाताओं द्वारा उसके नामांकन पत्र का समर्थन भी दिया जाना चाहिए।
- भारत में अब तक एक बार 1977 में श्री नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गये।
- राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बन्धित विवाद की जाँच उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है। यदि उच्चतम न्यायालय किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति के रुप में नियुक्ति को अवैध घोषित करती है तो घोषणा से पूर्व उसके द्वारा किये गये कार्य अवैध नहीं माने जायेगे।
अनुच्छेद 56- राष्ट्रपति की पदावधि-
- राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से 5 वर्ष तक की अवधि तक पद धारण करेगा।
- राष्ट्रपति अपने पद की समाप्ति के पश्चात भी अपने पद पर धारण रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपना पद धारण नहीं कर लेता।
अनुच्छेद 57- पुनर्निवाचन के लिए पात्रता-
- भारत में राष्ट्रपति के पुनर्निवाचन की कोई सीमा नहीं है। एक व्यक्ति चाहे जितनी भई बार राष्ट्रपति हेतु निर्वाचित किया जा सकता है।
- जब की अमेरिका में एक व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति के लिए नहीं चुना जा सकता है।
KAMAL RAWAT (#BRIGHT_FUTURE)
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