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Showing posts from March, 2019

भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल: कार्य और शक्तियां

लोकपाल क्या है लोकपाल एक राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी निकाय है, जो लोकपाल अधिनियम, 2013 के पास होने के बाद 1 जनवरी 2014 से लागू हो गया है. इसकी निगरानी में सभी लोक सेवक आयेंगे जिनमें भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री भी शामिल हैं. यह संस्था भारत में भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है. अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पांच साल या 70 साल तक के लिए (जो भी पहले हो) होती है. देश के पहले लोकपाल के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश पिनाकी चन्द्र घोष को राष्ट्रपति ने लोकपाल बना दिया है 1. इस अधिनियम को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 कहा जा सकता है. 2. यह पूरे भारत में लागू होगा. 3. यह भारत और विदेशों में लोक सेवकों पर लागू होगा. लोकपाल का इतिहास लोकपाल बिल को नौ बार (1968, 1971, 1977, 1985, 1989, 1998, 2001, 2011 और 2013) लोकसभा में पेश किया गया था तब जाकर 2013 में यह पास हुआ था. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को 1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई थी और इसे पूरे देश में इसी तारीख से लागू कर दिया गया है. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 20...

World Water Day Special

विश्व जल दिवस *#Water_Day_2019_ पानी_बचाने_का_उपाय_नहींकिया_तो_धरती_से_इंसान_का_सफाया_तय।* #नई_दिल्‍ली, [जागरण स्पेशल]। #पानी हम सबकी सबसे बड़ी जरूरत है और इसी #पानी को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है। स्वच्छ पीने योग्य पानी लगातार कम होता जा रहा है। यही नहीं, हमारी लापरवाही के चलते #समुद्र का जलस्‍तर भी लगातार बढ़ रहा है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि #समुद्र का जलस्तर भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन इस पानी को पी तो नहीं सकते। हम इंसानों का अस्तित्व ही #पानी से है और अगर स्वच्छ पीने योग्य पानी नहीं होगा तो धरती से इंसान का सफाया भी तय है। इसके बाद भी हम अपने-आप में कोई बड़ा बदलाव लाने को तैयार नहीं दिख रहे। भारत_के_हालात_चिंताजनक स्वच्छ पीने योग्य #पानी को लेकर भारत में हालात काफी चिंताजनक हैं। पिछले साल जारी हुई एक रिपोर्ट बताती है कि देश के 16 राज्‍यों के भूजल में खतरनाक रसायन मौजूद हैं। यह भी आप जानते ही हैं कि देश में पीने के लिए भूजल का इस्तेमाल कितने बड़े पैमाने पर होता है, ऐसे में देश की एक बड़ी आबादी के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। यह कुछ नहीं बल्कि सीधे-सीधे हमारी लापरवाही ...